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अँधेरिया तौ आँकै / हरिश्चंद्र पांडेय 'सरल'

कबहुँ तौ किरन कौनिउ झोपड़ी मा झाँकै,

न कुछ अउर चाही अँधेरिया तौ आँकै।

   बनै न घरैतिन बसै न परोसे

   न सोचै कि दुनिया है वहिके भरोसे

   तरस खाइ के हमकाँ कबहूँ न ताकै।

… … न कुछ अउर चाही अँधेरिया तौ आँकै।

   करय झूठ वादा बरस बीत अनगिन

   गरीबन काँ कबहूँ न पूछै यकौ छिन

   न बिसुवास अब वहिके हाँ कै न ना कै।

… … न कुछ अउर चाही अँधेरिया तौ आँकै।

   पलैं लाल झोपड़िउ मा गुदड़िउ मा रहि कै

   अठारह महीना कै इतिहास कहि गै

   यसस लाल तौ अपनी चुँदरी मा टाँकै।

… … न कुछ अउर चाही अँधेरिया तौ आँकै।

   अमीरे गरीबे कै कस दुइ कहानी

   बयार एक धरती गगन एक पानी

   सरल एक रँग है धुआँ दोउ चिता कै।

… … न कुछ अउर चाही अँधेरिया तौ आँकै।