गरम हवाओं के मौसम में 
लगी है आग जंगलों में 
धधकता है जंगल 
वनरक्षियों ने ही लगाई है आग 
लपटों से घिर गया है जंगल 
जलस्रोत सूख गए हैं 
पहाड़ों का बदन तप रहा है 
पक्षियों के घोंसलों तक 
पहुँच गयी है तपिश 
जानवर भागते हैं सुरक्षित आश्रय की तलाश में। 
अग्नि सब कुछ जला डालेगी 
आषाढ़ के प्रथम मेघों का रहेगा 
इंतजार जंगल को 
जब अमृत - जल बन 
बरसेगा मेघ 
और 
जंगल में जीवन का अंकुर फूटेगा।