Last modified on 9 मई 2016, at 16:20

अंग भाषा-अंगिका / कुंदन अमिताभ

अंगवासी जागऽ अपनाबऽ अंग भाषा
मान्यता मिलतै एकरा नै करऽ भंग आशा।
कुछ केॅ छै निराशा तेॅ कुछ केॅ छै आशा
देतें रहै छै हरदम सभ्भै केॅ दिलासा।
दिलासा देलऽ गेलऽ छै नेतौ के ओर सें
सूचीबद्ध होतै अंगिका ओकरे जोर सें।
लानी केॅ बाँही में दम चलेॅ होतै निरंतर
पीछा नै लौटेॅ होतै बढ़तें घड़ी पथ पर।
करेॅ होतै प्रण भाषा के सेवा के
बाग सजैला पेॅ मिलै छै फल मेवा के।
लै लेॅ होतै काम दिमागऽ सें देखैबै करामात
ईंट पर ईंट धरलऽ गेला पेॅ खाड़ऽ होय छै इमारत।
दिलैबै हक आपनऽ भाषा केॅ जे सबकेॅ मिललऽ छै
कथा कहानी गीत नाद निबंध गाथा भरलऽ छै।

बनै लेॅ होतै हर अंगवासी केॅ आशावादी
हक तेॅ मिलबे करतै जेकरऽ छै एत्तेॅ आबादी।
हर उलझन केॅ सुलझैबै आन बान ज्ञान सें
अंगिका केॅ चाहबै हम्में जादा अपनऽ प्राण सें।
यहेॅ हमरऽ नारा होतै लेॅ केॅ जेकरऽ सहारा
चलतें रहबै वू घड़ी ताँय जब तक नै मिलतै किनारा।