Last modified on 16 अप्रैल 2018, at 19:31

अंजुरी / सुनीता जैन

तुम कहते हो जितना सच है
बस उतना रह जाता,
शेष समय की अंजुरी से
बूँद-बूँद बह जाता

यह मेरी छोटी अंजुरी
बस सीमा है मेरी,
जितना इसमें आ जाओ
उतना तो, प्रिय रहना।