बघेली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
अंटरियै चढ़ि चला हो दरवाजा मा बोलै मोर
ये प्यारे वा दिन कउन थे जादिन कीन्ह्या प्रीति
दुख दै के न्यरे भया कउन गांव की रीति
अंटरियै चढ़ि चला हो दरवाजा मां बोलै मोर
अंटरियै चढ़ि चला हो दरवाजा मा बोलै मोर
ये प्यारे वा दिन कउन थे जादिन कीन्ह्या प्रीति
दुख दै के न्यरे भया कउन गांव की रीति
अंटरियै चढ़ि चला हो दरवाजा मां बोलै मोर