छोटी-छोटी खुशियों की ओर 
हम मुड़कर देखते नहीं 
बड़ी खुशियाँ दिखती नहीं हमें 
उम्र गुजर जाती है यों ही 
द्वार-द्वार खटखटाते हुए।
छोटी-छोटी खुशियों की ओर 
हम मुड़कर देखते नहीं 
बड़ी खुशियाँ दिखती नहीं हमें 
उम्र गुजर जाती है यों ही 
द्वार-द्वार खटखटाते हुए।