समंध-सगपण री गरमास में
जद-कद खोल नाखूं
अंतस रा राज
पण जद
वैं बातां
बण जावै अखबार
आखै गांव सारू
तो काळजै जागै कसक।
राज बतावणो
म्हारी भावुकता है
कै मजबूरी?
समंध-सगपण री गरमास में
जद-कद खोल नाखूं
अंतस रा राज
पण जद
वैं बातां
बण जावै अखबार
आखै गांव सारू
तो काळजै जागै कसक।
राज बतावणो
म्हारी भावुकता है
कै मजबूरी?