प्रकाश बेख़बर है अंधेरे के रंग-रूप से
फिर भी अँधेरा को ढूँढते हुए छटपटाते है प्रकाश की तरंगें
अंधेरा का तो नहीं है कोई अहंकार, विजय की उल्लास
निर्जन अकेलापन का भी एक नाम हो सकता है अंधेरा
अंधेरा से जैसे प्रतीत होते नाचते हुए प्रकाश की रेखायें
तन्हाई में ही सुनी जाती है सार्थक समय की तराने
चाँदनी-रहित रातों में फीके तारे भी चकमकाते
अंधेरा में ही दिखाई देता है जुगनुओं की टिमटिमाहट
जबकि अँधेरा में ही ख़ुद को ढूँढ़ना आसान लगता है
अंधेरा जिस तरह प्रकाश को उतावल करते
इस तरह अप्राप्ति करती है जीवन को संजीदा
प्राप्तिओं भर सकता है सिर्फ़ यादों में रंग
मृत्यु भी है अंधेरा
पर उस अँधेरा में ही उजागर होता है
वह अनमोल रत्न
जो छोड़ जाते हैं कोई ख़ालीपन में
अंधेरा का अर्थ अंत नहीं
ये है उपक्रम प्रकाश की
अंधेरा में चमकता हुआ दूर का एक प्रदीप
दिखाता है अभीष्ट राह निरंतर।