थारी अर म्हारी ओळख रो अरथाव अबै फगत ओळूं है। ओळख नै सांपरतै बिसराय’र ओळूं-गांठड़ी बांधण रा लखण हाफी-हाफी आ जाया करै है मिनख नै। भायला, ऐड़ी ओळख जिण रो दरद आपां खातर एक मिठास हुवै एक मोड़ मुड़्यां पछै फगत अंवेरण मांय ई’ज हुया करै है- सुख।