अकाल-4 / सुधीर सक्सेना

सारी पनचक्कियाँ ख़ामोश हैं

भाटों-भाट खुले
कच्चे मकानों में
गर्म हवा के सिवाय
कोई और नहीं ।

हवेली के
दरवाज़े-खिड़कियाँ बन्द हैं
भीतर बन्द पकते धान की
गंध बाँधने के लिए

हवेली के पास
बादल दुहने की मशीन है ।

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