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अकेला एक जुगनू / अपूर्व भूयाँ

एक जुगनू टहलते रहते हैं
अंधेरा कुतरते-कुतरते
अंधेरा में पिघलता हुआ एक मुँह

कहाँ चले गए हैं बहेलिया!

सुनसान आधी रात को
तप्त रक्त की गंध
फैल रही है ठंडी हवा में

मैदान की घास खरोंचते हुए
टिमटिमाते रहते है
एक जुगनू अकेले में।