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अक्षर / हेमन्त जोशी

मैं उतरता हूँ
कागज़ पर
कविता बन कर

तुम जिसे पढ़ते हो
वह मैं हूँ निरा मैं
स्पंदित प्रतिपल
तुम्हारी ही शर्तों पर
हर पल
बनता हुआ
अक्षर