मैं उतरता हूँ
कागज़ पर
कविता बन कर
तुम जिसे पढ़ते हो
वह मैं हूँ निरा मैं
स्पंदित प्रतिपल
तुम्हारी ही शर्तों पर
हर पल
बनता हुआ
अक्षर
मैं उतरता हूँ
कागज़ पर
कविता बन कर
तुम जिसे पढ़ते हो
वह मैं हूँ निरा मैं
स्पंदित प्रतिपल
तुम्हारी ही शर्तों पर
हर पल
बनता हुआ
अक्षर