जिस दिन होता है इतवार,
घर में आते ही अखबार,
ऐसी छीन-झपट मचती
हो जाते हैं हिस्से चार!
पापा को खबरों का चाव,
माँ पढ़ती दालों के भाव,
भैया खेलों में रमते,
भाता मुझे बनाना नाव,
जिस दिन होता है इतवार,
घर में आते ही अखबार,
ऐसी छीन-झपट मचती
हो जाते हैं हिस्से चार!
पापा को खबरों का चाव,
माँ पढ़ती दालों के भाव,
भैया खेलों में रमते,
भाता मुझे बनाना नाव,