अखूट जातरा में / ओम पुरोहित कागद

थेड़ में
सूत्यै सै’र
काळीबंगा री गळियां
कठै ई तो जावै है
जिण में जांवता
आंवता रैया होसी
लोगड़ा
अबै भंवै
हांय-हांय करतो बायरियो
फळसै सूं बड़
छाता सूं निसर
अणमणो परबारो निसरै
अखूट जातरा में
बिना लियां
माणस रो परस।

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