अगहन बोलै जब, तनमन डोलै जब। 
धान-पान डोलै जब, मन जुड़ी जाय छै॥
आँख नाक खोलै जब, मने मन डोलै जब। 
प्यार बनी बोलै जब, कुड़ी शरमाय छै॥
पूस रुठी गेलै जब, दिल टुटी गेलै जब। 
संग झूठी भेलै जब, बुढ़ी टरकाय छै॥
देखी के हेमंत जब, मन के वसंत जब। 
आदि से अनंत जब, जुड़ी-तुड़ी जाय छै॥
कहै छै मुकेश जब, सहै छै मुकेश जब। 
रहै छै मुकेश जब, दिल भरी जाय छै॥