बिरहन है अग्नि
बाट जोहती
जल की !
जल जोगी
लौट जाता
अलख जगा कर
देहरी से ही
इस बिरहन की !
अनुवादः नीरज दइया
बिरहन है अग्नि
बाट जोहती
जल की !
जल जोगी
लौट जाता
अलख जगा कर
देहरी से ही
इस बिरहन की !
अनुवादः नीरज दइया