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अग्नि धर्म है शुचिता का, सुन्दरता का / कात्यायनी

सूर्य के प्रकाश में
नहाया हुआ पवित्र-निष्पाप-निर्वसन
एक नवजात शिशु की तरह
-जीवन का यह बिम्ब
उभरता है सहसा
आँखों के सामने
और फिर नाचता हुआ
आग के एक गोले की तरह
दूर चला जाता है।

रचनाकाल : जनवरी-अप्रैल, 2003