एक सदी कुएँ में बिताने के पश्चात,
और दस पीढ़िया एक्वेरियम में
कितना मुश्किल रहा होगा
मेढ़क और मछलियाँ का दरिया से
हस्बमामूल होना,
तुम तो फिर भी स्त्री थी,
अपनी अहमियत के बरक्स अब तक
धरती के कितने छोटे हिस्से पर रहती आई
हासिल पूरे घर को अब अपना कैसे समझ लेती,
पुरूष भी युगों बाद समझ रहा था
सिलसिले वार निर्लिप्तता चाह रहा था
आसमान इतनी जल्दी कहाँ छूटता,
उसने ताना तुम्हारी खिड़की पर
वो नीला टुकड़ा,
खिड़की के बाहर भी माड़ दिया
वो ’’ओ हेनरी’’ का आखिरी पत्ता
तुम्हार वितान सजा दिया,
सूरज अभी भी उसके अधिकार क्षेत्र में है।