कदे अरजन खड़या था धनुष ताण कै द्रोपदी तैं ब्याह रचाणें खातर
देख कड़ाही म्हं परछाई त्यार था मछली बींध गिराणे खातर
फेर अचूक निशाना मार्या अरजन नै वरमाला गले डलवाणे खातर
पंाचवां नै साझी मिली द्रोपदी गृहस्थी धर्म न खूब निभाणे खातर
फेर चौसर म्हं दी लगा दाव पै भरी सभा म्हं नाच नचाणे खातर
उड़ै जांघ पीट दुर्योधन बोल्या करो नगन इन्हें यहां आणे खातर
नारी का अपमान हुऽया देखैं भीष्म द्रौण भी शर्मसार हो जाणे खातर
फेर लहू पीवण का प्रण करया भीम नै दुसासन की छाती फाड़ दिखाणे खातर
जभी महाभारत की नींव पड़ी थी या जचगी थी बात जमाने खातर
फेर कृष्ण याद करे कृष्णा न मातृशक्ति की लाज बचाणे खातर
अठारा क्षौणी सेना खपगी पांचाली के केस लहू तै धुलवाणे खातर
अरजन श्रेष्ठ धनुर्धर बणे भीष्म, द्रौण, कर्ण नै मार गिराणे खातर
परछाई देख कै पहला निशाना अरजन नै द्वापर म्हं लगाया था
ब्राह्मण वेश म्हं सब राज्यां तै नीचा खूब दिखाया था
पर अरजन तै भी बड़े धनुर्धर सैं कलजुग म्हं जो निशाना अचूक लगावै सैं
परछाई देख कै गर्भ के अन्दर बच्चे का लिंग बतावैं सैं
कुछ रूपयां की खातर वो कन्या भु्रण गिरावैं सैं
सफेदपोश ये कातल भी डाक्टर आज कहावैं सै
मांस नौच के निर्दोषां का कुत्ते कव्वयां नैं खिलावैं सैं
हजार आठ सौ का अनुपात हुऽया आंकड़े आज ये बतावैं सैं
छोंर्यां ने ना मिलती दुल्हन इब यू.पी. केरल तै मंगवावैं सैं
अर जिसनै मिलज्या सै वो दहेज की बली चढ़ावै सैं
मिलकै सोचो सारे आज या सभ्यता किधर न जाण लगी
इतिहास तै कुछ शिक्षा ली ना सब प्रमाणा नै भुलाण लगी
भीम तै ज्यादा लहू रोज पी डाक्टर नर्स सै पाप कमाण लगी
द्वापर म्हं बण धर्म सारथी लगे थे अरजन न उकसाणे खातर
इब कलजुग म्हं फेर जन्म लो प्रभु कन्या भ्रुण बचाणे खातर
ब्रह्म अस्त्र सै भी ज्यादा खतरा आज अल्ट्रासाऊंड का जमाणे खातर
कदे अरजन खड़या था धनुष ताण कै द्रोपदी तै ब्याह रचाणे खातर
आज डाक्टर खड़ी सै सिरींज ताण कै मानव वंश मिटाणे खातर
अर ’चहल’ खड़या स कलम ताण कै एक छवि कवि की पाणे खातर
कदे अरजन खड़या था धनुष ताण कै द्रोपदी तै ब्याह रचाणे खातर