काँपते से हाथ, शंकित हैं
मासूम खिलखिलाहटों के भविष्य के प्रश्न पर
सफ़ेद होते बाल व्यथित हैं
अपनी नस्लों की सुरक्षा के सवाल पर
और पूरी दुनिया चिंतित है
मानवता के सरोकारों से
लिखते हैं गुलाबी ख़त पर
लाल चूड़ियों वाले खनखनाते हाथ
दुनिया को दुनिया बनाए रखने के लिए
एक अच्छी कविता की ज़रूरत है
वह जोड़ सकती थी मेरे-तुम्हारे अतीत
बन सकती थी सागर-सेतु
वह ढ़ाई आखर के तिलिस्म में
कहीं गुम-सी है, ढूँढ़ती साँसों का बसंत
सहेजती रिश्तों का शरद-काल
वह प्राणों के तार पर फेरती है अँगुलियाँ
फूटता है राग, प्यार को प्यार बनाए रखने के लिए
एक अच्छी कविता की ज़रूरत है
एकात्म होने लगते हैं स्मृति के अक्षर,
माथे की सिलवटों के साथ
कह जाती है, प्रेरणा उत्तप्त कानों में
जीवन को जीवन बनाए रखने के लिए
एक अच्छी कविता की ज़रूरत है ।