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अजगर अर पंछी / हरीश बी० शर्मा


दाता !
ठीक है थांरो न्याव
भूखो कोई मरै नीं है
चाकरी मिळै नीं है
ठौड़ ना ठिकाणो
पण बेठौड़ तो कोई भी नीं है
....।

फेर भी मरै तो है ही
भूख सूं......
सियाळै सूं .......
तावड़ै सूं लोग
पण, सांच तो ओ है कै
मरणिया पंछी हुय सकै
अजगर हुवै नीं है।