अजनबी / मनोज कुमार झा

तो ये अभी तक हैं इस धरती पर, इस गाँव में,
पिछले एक साल में आई न याद एक बार
थीं ये भी पास वहाँ उस दिन पर मैं देखता रहा मरे साँप को
यह लाठी कब से है इनका सहारा
अनुमान से बता दो पता है यह तुम्हारे बेटे का बर्थ डे नहीं है
क्या अब भी ये कह पाती हैं सात किस्से लगातार
मैं मिलूँ तो मगर कहाँ से शुरू करूँ बात
क्या कोई बीच की भाषा है जिसमें माँगूँ क्षमा
कि भूला उनकी उपस्थिति मैं कुपात्र
जबकि थीं वो ढाई घर दूर मात्र

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