दिन भर लोग मिरे
कपड़ों से मिलते हैं
मेरी टोपी से
हाथ मिला कर हँसते हैं
मेरे जूते पहन के मेरी
साँसों पर चलते हैं
अपने आप से कब बिछड़ा था
दिन के इस अम्बोह में मुझ को
कुछ भी याद नहीं आता
रात को अपने नंग जिस्म के
बिस्तर पर
नींद नहीं आती
दिन भर लोग मिरे
कपड़ों से मिलते हैं
मेरी टोपी से
हाथ मिला कर हँसते हैं
मेरे जूते पहन के मेरी
साँसों पर चलते हैं
अपने आप से कब बिछड़ा था
दिन के इस अम्बोह में मुझ को
कुछ भी याद नहीं आता
रात को अपने नंग जिस्म के
बिस्तर पर
नींद नहीं आती