सारी शामें उनमें डूबीं
सारी रातें उनमें खोईं
सारे साग़र उनमें टूटे
सारी मय
ग़र्क़ उन आँखों में है
देखती हैं वो मुझे लेकिन बहुत बेगानावार।
सारी शामें उनमें डूबीं
सारी रातें उनमें खोईं
सारे साग़र उनमें टूटे
सारी मय
ग़र्क़ उन आँखों में है
देखती हैं वो मुझे लेकिन बहुत बेगानावार।