फिर रेत भरे दस्ताने पहने बच्चों का
इक लम्बा जुलूस निकलते देखने वाले हो
आँखों को काली लम्बी रात से धो डालो
तुम ख़ुशक़िस्मत हो, ऎसे अज़ाब की लज़्ज़त
फिर तुम चक्खोगे।
फिर रेत भरे दस्ताने पहने बच्चों का
इक लम्बा जुलूस निकलते देखने वाले हो
आँखों को काली लम्बी रात से धो डालो
तुम ख़ुशक़िस्मत हो, ऎसे अज़ाब की लज़्ज़त
फिर तुम चक्खोगे।