मन कहीं नहीं भटका है
ऊपर एक बादल अटका है
जो तुझ को छू कर आया है
मेरे मन के आँगन में बरसा है
चाँद कहीं नहीं भटका है
दिल के आसमाँ में लटका है
तेरे मन को छू कर आया है
मेरे तन के आँगन में चमका है
मन कहीं नहीं भटका है
ऊपर एक बादल अटका है
जो तुझ को छू कर आया है
मेरे मन के आँगन में बरसा है
चाँद कहीं नहीं भटका है
दिल के आसमाँ में लटका है
तेरे मन को छू कर आया है
मेरे तन के आँगन में चमका है