♦ रचनाकार: अज्ञात
भारत के लोकगीत
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ऊना सा पाणी ठंडा वई रया रे
रामदेव जी रूणीजा में रे
ऊना सा भोजन ठंडा वई रया रे
रामदेव जी रूणीजा में रे
सुन्ना की झारी, गंगाजल पाणी
रामदेव जी रूणीजा में रे
सोने की सार, जड़ावे का पांसा
रामदेव जी रूणीजा में रे
पक्के जो पान, कलाई का चूना
रामदेव जी रूणीजा में रे