[भूमिका:
अधुना हमारे पास
विशाल योजनाएँ हैं--
शीतापंत्रित प्रशालाएँ हैं,
जहाँ आविष्कारों के बदले
दर्शन और शायरी है,
भारतीय संस्कृति और बुशर्ट है,
अनन्त उपसमितियाँ हैं,
और पैसों को
पानी समझने का
निष्काम कर्म है
(अपवाद-आविष्कारों
का आविष्कार : चूल्हा।
हमारे महर्षियों के
विदेशी शिष्य होते हैं,
नहीं तो बिचारे बाबा ही
रह जाते हैं। हमारी
नारियाँ सौंदर्य--
प्रतियोगिताओं में भाग
नहीं लेती हैं, भागती हैं।
हम विदेशी जासूसों
से अपने रहस्य
छिपा सकते या नहीं सकते
(हिन्दी में जासूसी उपन्यास ही नहीं),
लेकिन अपने भिक्षुओं
और वेश्याओं का
हम विदेशी अतिथियों
के सामने प्रदर्शन नहीं करते
(सामसिक संस्कृति के प्रतीक)।
हम निषेधों के कर्मकांड
की नाई संस्कृति
बना रहे हैं।]
कविता :
अणु-बम से पहले का
- अणु- भाष्य है।
स्फोट से बहुत पहले
- स्फोटवाद था।