Last modified on 24 जून 2016, at 11:55

अतृप्त इच्छाओं की वेदी / प्रेमनन्दन

सहसा एक चिता जली
पर
श्मशान में नहीं
एक शानदार बँगले के आँगन में ।

मुर्दा शरीर की नहीं,
ज़िन्दा शरीर की।

प्रत्यक्षदर्शी पड़ोसी बताते हैं
कि उसकी हथेलियों पर
मेंहदी की रंगोलियाँ थीं
सुर्ख़ लाल जोड़े में
लाल-लाल चूड़ियाँ थीं।

वह लाल जोड़ा
‘लाल’ हो कर राख में बदल गया!

कुछ लोगों की
अतृप्त इच्छाओं की वेदी पर
स्वाहा हो गई --
एक और लड़की !
एक और लड़की !!
एक और लड़की !!!