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अदना सा वजूद है मिरा, सोचो तो / रमेश तन्हा

 
अदना सा वजूद है मिरा, सोचो तो
पानी का हूँ सिर्फ, बुलबुला, सोचो तो
हल्की सी हवा मुझको मिटाने को है
और उस पे हूँ मैं भी तो हवा सोचो तो।