सीरिया में १९३० में जन्मे सीरियाई–लेबनानी मूल के कवि, साहित्यालोचक, अनुवादक, और सम्पादक अदोनिस (मूल नाम अली अहमद सईद) अरबी साहित्य और कविता का एक अत्यन्त प्रभावशाली नाम हैं । अपने राजनैतिक विचारों के लिए अदोनिस को अपनी ज़िन्दगी का एक हिस्सा जेल में बिताना पड़ा था । १९५६ में अपना मूल देश त्यागने के बाद अदोनिस लेबनान में रहने लगे । मैं एक ऐसी भाषा में लिखता हूँ जो मुझे निर्वासित कर देती है -- उन्होंने एक दफ़ा कहा था -- कवि होने का मतलब यह हुआ कि मैं कुछ तो लिख ही चुका हूँ पर वास्तव में लिख नहीं सका हूँ । कविता एक ऐसा कार्य है जिसकी न कोई शुरुआत होती है न अन्त । यह असल में एक शुरुआत का वायदा होती है, एक सतत शुरुआत।
उनका नाम इधर अरबी कविता में आधुनिकतावाद का पर्याय बन चुका है। कई बार अदोनिस की कविता क्रान्तिकारी होने के साथ साथ अराजक नज़र आती है; कई बार रहस्यवाद के क़रीब । उनका रहस्यवाद मूलतः सूफ़ी कवियों के लेखन से गहरे जुड़ा हुआ है । यहाँ उनका प्रयास रहता है मनुष्य के अस्तित्व के विरोधाभासी पहलुओं के नीचे मौजूद एकात्मकता को और ब्रह्माण्ड के बाहर से अलग-अलग दीखने वाले तत्वों की मूलभूत समानता को उद्घाटित कर सकें, लेकिन अलबत्ता उनकी कविता रहस्यवाद और क्रान्ति के दो ध्रुवों के बीच की चीज़ नज़र आती है, ये दोनों ध्रुव उस में घुलकर एक सुसंगत निग़ाह में बदल जाते हैं और यही उनके कविकर्म की विशिष्टता है । एक नई काव्य-भाषा का निर्माण कर पाने का उनका संघर्ष और आर्थिक-राजनैतिक वास्तविकताओं को बदलने की उनकी आकांक्षा अक्सर एक नई पोयटिक्स में तब्दील हो जाती है -– एक पोयटिक्स जो अल-ज़ाहिर (प्रत्यक्ष) से ढँके अल-बातिन (गुप्त) को उद्घाटित कर सकने वाली मानवीय रचनात्मकता को रेखांकित करती है ।