चिंटू ने मम्मी से पूछा-
किसने यह संसार बनाया?
अद्भुत सृष्टि रची है सारी,
मुझे बनाया, तुझे बनाया।
चिंटू, यहन कुशल खिलाड़ी,
खेल खेलता न्यारे-न्यारे।
सुंदर—सा आकाश सजाया,
जिसमें सूरज, चंदा, तारे।
ऐसा अद्भुत शिल्पकार वह,
धरती और पहाड़ बनाए।
अद्भुत लीला उसकी देखो,
पत्थर मेन झरने लहराए।
कैसा सुंदर चित्रकार वह,
रंग-बिरंगे फूल खिलाए।
काली-काली रातें रँगता,
कभी सुनहरी प्रात बनाए।
नहीं दीखता कलाकार वह,
क्या है उसका पता-ठिकाना।
मम्मी जी, इक काम करो तुम,
ढूँढो उसको, लेकर आना।
चिंटू, उसको ढूँढूँ कैसे?
नाम-पत्ता ना ठौर-ठिकाना।
सबके दिल के भीतर बसता,
नहीं कहीं है आना-जाना।
हुक्म बजाता दूर बैठकर,
कोई भी कुछ बोल न पाता।
सृष्टि चलाता अपनी सारी,
फिर भी नज़र नहीं वह आता।