ईश्वर केॅ
ऐ संसारोॅ में
नर/नारी सरबोतम रचना छीकै।
वै में भी
नारी अद्भुत रचना कहलॅ जायछै।
शक्ति (नारी) बिना-
अंडज, पिंडज, उद्भिज, स्वेदज
सब निष्प्राण छै।
नारी (मादा) बिना-
धरती पर सब बेजान छै।
जड़ रहॅ की चेतन।
संसार में-
सुख केॅ केन्द्र
नारी (मादा) ही छीकै।
आरो-
हो सत्य छै की-
नर (पुरुष) बिना नारी (मादा)
रहै नैं पारै छै।
कैहिनें की-
लता आरो बनिता-
नजदीक रॅ सहारा पाबी केॅ
लपटी जाय छै।
एकरौह कोय रोकैह नैं पारेॅ।
सृष्टि के कारण ही-
प्रकृति (नारी) आरो पुरुष छीकै
नैं तॅ
प्रलय/मरुभूमि
हरियाली के दर्शन भी.....।
9/12/15 अपराहन साढ़े बारह