अनुभूतियों के दस्तावेज़
स्मृतियों के संग्रहालयों में
एक कोने में पडे़
आज भी
अनुभवों की कहानी कहते
बीते पलों की
पगडंडियों पर
हर ओर बिखरे
अतीत के ज़र्द पत्ते
बहारों की दास्तां सुनाते
दिन आते
फिर जाने कहाँ
खो जाते
ख़यालों के
चंद सिक्के
कुछ जमा-पूंजी
रह जाते