एक बन्दूक बनाऊँ ऐसा
निकले जिससे प्रेम की गोली
जिसको लगे वही फिर बोले
एक-दूजे से मीठी बोली
फिर न होगी कहीं लड़ाई
सभी करेंगे सबकी भलाई
हम बच्चों संग खेलेंगे सब
गुल्ली-डण्डा, छुपन-छुपाई ।
एक बन्दूक बनाऊँ ऐसा
निकले जिससे प्रेम की गोली
जिसको लगे वही फिर बोले
एक-दूजे से मीठी बोली
फिर न होगी कहीं लड़ाई
सभी करेंगे सबकी भलाई
हम बच्चों संग खेलेंगे सब
गुल्ली-डण्डा, छुपन-छुपाई ।