अंतस - भावों को
कागज पर
न उतार पाने का दुःख
उतना ही है,
जितना कि
गर्भवती स्त्री के
शिशु की असमय मृत्यु के निमित्त
उसके अंक की रिक्तता।
सच !
सृजन का असामयिक अंत
सदैव विषादपूर्ण होता है।
अंतस - भावों को
कागज पर
न उतार पाने का दुःख
उतना ही है,
जितना कि
गर्भवती स्त्री के
शिशु की असमय मृत्यु के निमित्त
उसके अंक की रिक्तता।
सच !
सृजन का असामयिक अंत
सदैव विषादपूर्ण होता है।