अन्तिम प्रेमपत्र
मौन प्रार्थना,
दर्द से लबालब मुक्ति पत्र l
बेटिकट माथे में घुमरते
पंख बाँधे शब्द
बुझी स्मृतियों की गर्म बाती
बेसुध पड़ी अखण्ड दीप पर
तीखे खट्टे सिंके शब्दों से भरा
अख़बारी ठोला
अन्तिम प्रेमपत्र —
झूले की तख़्ती !
शब्द झूल रहे हैं पेण्डुलम से,
स्मृति और वेदना के बीच,
धीरे-धीरे पेड़ विलग शाखा से !
अन्तिम प्रेमपत्र —
हरा तोता !
बैठा विषमुष्टि के वृक्ष पर ।
सजल नयन से निहारता
मूक इश़्क !