तुम्हारे बाल
जंगल में खो गए हैं
तुम्हारे पैर
मेरे पैरों को छू रहे हैं
सोते हुए तुम
रात से बड़ी लगती हो
लेकिन तुम्हारे सपने
इस कमरे में समा जाते हैं
हम
जो इतने छोटे हैं
कितने बड़े हैं
बाहर एक टैक्सी गुज़रती है
दैत्यों से लदी हुई
नदी दौड़ती है हमेशा
पीछे की तरफ़
क्या कल नया दिन निकलेगा ?