बरिसइत रहओ अहिना
भरि दिन, भरि राति
अन्त रावण केर ई मेघ
भिजबइत रहओ अहिना
कर्मातअन ज’न ज’नीक गत्र गत्र
अन्त श्रावण केर ई मेघ
सुनइत रहओ अहिना
रिकशावला इसखी छोंड़ा क गारि
अन्त श्रावण केर ई मेघ
लोकोक कतवहि मेँ
अर्ध दग्ध ऊपर फाँटू कोइला बिछइत
आयत आँखिवाली सँथाल-छँउड़ीक उपराग
सेहो सुनइत रहओ अहिना
अन्त श्रावण केर ई मेघ
तितबइत रहउ अहिना
तीसी तेलक चिकनाओल ओकर खोपा
अन्त श्रावण केर ई मेघ