रचनाकार | धर्मवीर भारती |
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प्रकाशक | किताबघर प्रकाशन |
वर्ष | २००५ |
भाषा | हिन्दी |
विषय | कविताएँ |
विधा | |
पृष्ठ | 108 |
ISBN | |
विविध | महाभारत के अट्ठारहवें दिन की संध्या से लेकर प्रभास-तीर्थ में कृष्ण की मृत्यु के क्षण तक का वर्णन। |
- स्थापना / धर्मवीर भारती
- पहला अंक / धर्मवीर भारती
- द्वितीय अंक / धर्मवीर भारती
- तृतीय अंक / धर्मवीर भारती
- चतुर्थ अंक / धर्मवीर भारती
- पंचम अंक / धर्मवीर भारती
धर्मवीर भारती का काव्य नाटक अंधा युग भारतीय रंगमंच का एक महत्वपूर्ण नाटक है। महाभारत युद्ध के अंतिम दिन पर आधारित यह् नाटक चार दशक से भारत की प्रत्येक भाषा मै मन्चित हो रहा है। इब्राहीम अलकाजी,रतन थियम,अरविन्द गौड़,राम गोपाल बजाज,मोहन महर्षि, एम के रैना और कई अन्य भारतीय रंगमंच निर्देशको ने इसका मन्चन किया है ।
इसमें युद्ध और उसके बाद की समस्याओं और मानवीय महात्वाकांक्षा को प्रस्तुत किया गया है। नए संदर्भ और कुछ नवीन अर्थों के साथ अंधा युग को लिखा गया है और हिन्दी के सबसे मकबूल नाटक में रंगकर्मी के लिए धर्मवीर भारती जी ने ढेर सारी संभावनाएँ छोड़ी हैं,निर्देशक जिसमें व्याख्या ढूँढ़ लेता है। तभी इराक युद्ध के समय निर्देशक अरविन्द गौड़ ने आधुनिक अस्त्र-शस्त्र के साथ इसका मन्चन किया । काव्य नाटक अंधा युग में कृष्ण के चरित्र के नए आयाम और अश्वत्थामा का ताकतवर चरित्र है, जिसमें वर्तमान युवा की कुंठा और संघर्ष उभरकर सामने आता है।