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अन्योक्तिक / अन्योक्तिका / सुरेन्द्र झा ‘सुमन’

अप्रस्तुत प्रस्तुत एतय, आनहु अपनहि रूप
निन्दा-बन्दा बिन्दुमत, अन्योक्तिका अनूप।
कवित सुरभि दोहा दुहित मथित सुमति नवनीत
सुमन सुचिर शुचिरुचि रुचओ, सहृदय रसना प्रीत।