अप्रस्तुत प्रस्तुत एतय, आनहु अपनहि रूप
निन्दा-बन्दा बिन्दुमत, अन्योक्तिका अनूप।
कवित सुरभि दोहा दुहित मथित सुमति नवनीत
सुमन सुचिर शुचिरुचि रुचओ, सहृदय रसना प्रीत।
अप्रस्तुत प्रस्तुत एतय, आनहु अपनहि रूप
निन्दा-बन्दा बिन्दुमत, अन्योक्तिका अनूप।
कवित सुरभि दोहा दुहित मथित सुमति नवनीत
सुमन सुचिर शुचिरुचि रुचओ, सहृदय रसना प्रीत।