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अपनपन के बारे में / चित्रा गयादीन

चेहरा
एक आईना में
ना हम ना तू
ना तू ना हम
पेड़ से नोचल
हवा में
हिंयाँ से हुआँ
उड़ीला कहाँ से कहाँ
आज भी अनजान
कर लिए कभी पहचान
टूटल
कई दफा दिल
देह में बहते जा दुख
हमार जौन रहा कौन
कैसे अपने आप
हम्मे मिल
चेहरा एक आईना
णें एक चेहरा
ना हम ना तू
ना तू ना हम।