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अपने जन्मदिन पर / मुकेश मानस


एक

अपने सुख की चाबी
अपने ही पास रखो
दूसरे तो तुम्हें
दुखी ही करेंगे


दो

जितनी जल्दी हो सके
खुद को तलाश लो
वर्ना इस तलाश में
ये उम्र गुजर जायेगी


तीन

हमेशा अपने मन की
आवाज को सुनो
मगर कभी-कभी खुद पर
संदेह भी करो
चार

निर्णय सोच समझ कर करो
मगर इतनी देर भी मत करो
कि निर्णय लेने का
कोई मतलब ही न रह जाये

पाँच

सिर्फ़ कहो मत
अपने कहे पर अमल भी करो
वरना तुम्हारी ज़बान
तुमसे रूठ जायेगी

छ:

अगर कहने के लिये
कुछ नया नहीं है
तो फिर कहने की ज़रूरत ही क्या है

सात

जो हो रहा है
उसे होते हुए देखो
और समझो
कि क्यों हो रहा है