आज मैं
बड़े तड़के उठा
मुंह अंधेरे
चला आया
सड़क पर
चहकती चिड़ियों ने
स्वागत किया मेरा
झूमते पेड़ों ने
कहा-
‘जन्मदिन मुबारक!’
आज मुझे
दुनिया बड़ी भली लगी।
आज मैं
यूं ही
बस यूं ही
घूमा किया
नंगे पांव
धूल और
पीली पड़ी दूब पर,
महसूसता
तलुओं में
किन्हीं खुरदुरी हथेलियों का सा
गुनगना स्पर्श!
आज मुझे
वह बदनसीब औरत
बहुत याद आयी
जिसकी आंखों से
मैंने-
पहली ही पहली बार
देखा था
संसार।