Last modified on 28 फ़रवरी 2012, at 07:06

अपने भीतर क़ैद बुराई से लड़ना / ओमप्रकाश यती



अपने भीतर क़ैद बुराई से लड़ना
मुश्किल है कड़वी सच्चाई से लड़ना

ऐसे वार कि भाँप नहीं पाता कोई
सीख गए हैं लोग सफ़ाई से लड़ना

झूठ का पर्वत लोट रहा है क़दमों में
चाह रहा था सच की राई से लड़ना

जो मित्रों का भेष बनाए रहता है
उस दुश्मन से कुछ चतुराई से लड़ना

सेनाओं से लड़ने वाले क्या जानें
कितना मुश्किल है तन्हाई से लड़ना