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अपने लिए जाना / नरेश चंद्रकर
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नरेश चंद्रकर
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बातचीत की उड़ती धूल में
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उन्होंने बहुत आमंत्रित किया
बार-बार बुलाया
आग्रहों के अंबार के बाद
हम गए उनके घर
अपनी शर्म छुपाने