Last modified on 13 सितम्बर 2012, at 16:02

अपने ही दम पर / संगीता गुप्ता


आकाश
उसे भी छूना
पर बस
अपने ही पंखों

ऊचाइयाँ
उसको भी पानी
औरों की सीढ़ी नहीं
पांव - पांव चल कर

यूँ पहुँचने में
देर ज़रुर होगी
यात्रा थकायेगी
सब जानती - समझती
मगर कहीं हठ ठाने

चलेगी
उड़ेगी
अपने ही दम पर