खामोशियों से
अनकही
बचकानी बातें
हो जायें,
तनहाइयाँ बतलाती हैं
कि-
शहर
बहुत अकेला है
लोगों के चेहरों पर
मुस्कान नकली है
दिलों मे खुशी
कहाँ टिकती हैं
घर है,
महँगी गाड़ी
फिर भी
उदास है
अपेक्षाओं की अलमारी।
खामोशियों से
अनकही
बचकानी बातें
हो जायें,
तनहाइयाँ बतलाती हैं
कि-
शहर
बहुत अकेला है
लोगों के चेहरों पर
मुस्कान नकली है
दिलों मे खुशी
कहाँ टिकती हैं
घर है,
महँगी गाड़ी
फिर भी
उदास है
अपेक्षाओं की अलमारी।