हिय हरषैँ, बरसैं सुमन, मनहीँ मन कछु गात,
गईँ घरैतिन मायकै, खबर सुनी जब आज।
धन्य-धन्य भगवान हूँ, धन्य उनन के काज,
जैसी मेरी सुनि लई, सबकी सुनियौ आज।
पोछा, चौका निपटि कै, हुइ निच्चू सब काज,
चाय केतली भरि लये, बने सूरमा आज।
अलबम पिछली आपुनी, देखन कौ मन माहिँ,
"सेफ़र साइड" , पै तहूँ, अखबारहुँ लौ डारि।
ज्यौँ पन्ना हूँ पलटि कै, "आशा" बइठे "कूल" ,
धम्म कूदि कै आ गई, बोली "अप्रिल फूल"