वसंत परित्यक्त पड़ा है
वेलवेट-सी काली खाई
बिना किसी सोच-विचार के मेरे नजदीक रेंग रही है
चमकते दिख रहे हैं तो
सिर्फ पीले फूल
ले जाया जा रहा हूँ मैं अपनी परछाईं में
जैसे काले डिब्बे में वॉयलिन
जो मैं कहना चाहता हूँ सिर्फ वह बात
झलक रही है पहुँच से दूर
जैसे चमकती है चाँदी
सूदखोर की दुकान में
(अनुवाद : प्रियंकर पालीवाल)